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टूटी सालों पुरानी परंपरा, पूर्व नेपाल नरेश के जन्मदिन पर गोरखनाथ मंदिर से नहीं गया महाप्रसाद

पूर्व नेपाल नरेश के जन्मदिन पर हर साल गोरखनाथ मंदिर की तरफ से भेजा जाने वाला महाप्रसाद नेपाल सीमा के बन्द होने की वजह से इस बार नहीं भेजा गया। ​​गोरखनाथ मंदिर में हर वर्ष 8 जुलाई को ज्ञानेंद्र वीर विक्रम देव शाह के जन्मदिन के अवसर पर पूजा कर महाप्रसाद चढ़ाया जाता है। इस प्रसाद को राज परिवार को भेजा जाता है।
प्रकाशिनी मणि त्रिपाठी, गोरखपुर 
पूर्व नेपाल नरेश के जन्मदिन पर हर साल गोरखनाथ मंदिर की तरफ से भेजा जाने वाला महाप्रसाद नेपाल सीमा के बन्द होने की वजह से इस बार नहीं भेजा गया। भारत और नेपाल के बीच चल रहीं खींचातानी की वजह से वर्षों से चली आ रही इस परंपरा पर भी ग्रहण लगा है। हालांकि मंदिर की तरफ से शुभकामना संदेश नेपाल के राजशाही परिवार को भेज दिया गया है। 
गोरखनाथ मंदिर में हर वर्ष 8 जुलाई को ज्ञानेंद्र वीर विक्रम देव शाह के जन्मदिन के अवसर पर पूजा कर महाप्रसाद चढ़ाया जाता है। इस प्रसाद को राज परिवार को भेजा जाता है। इस बार भी मंदिर में पूजा करते हुए मंगल कामना की गई, लेकिन कोरोना और नेपाल सीमा के बन्द होने की वजह से प्रसाद नहीं भेजा गया। हालांकि मंदिर के संचालक द्वारिका तिवारी ने बताया कि सीमा खुलने के बाद प्रसाद भी भेज दिया जाएगा। 
मंदिर प्रशासन की ओर से नेपाल नरेश को भेजे गए पत्र में लिखा है कि आपके जन्मदिन के अवसर पर पूर्व की भांति गुरु गोरखनाथ महाराज जी को प्रसाद चढ़ाया जाएगा साथ ही आपके सुखमय जीवन की मंगल कामना भी की जाएगी। स्थिति सामान्य होने के बाद यह प्रसाद भी पूर्व की भांति भेज दिया जाएगा। पत्र में गोरक्षपीठाधीश्वर महंत और सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ की तरफ से भी शुभकामना दी गई है। 
नेपाल के राजशाही और गोरखनाथ का रहा अटूट रिश्ता 
नेपाल के राजशाही परिवार का गोरखनाथ मंदिर और नाथ संप्रदाय से अटूट रिश्ता रहा है। कहा जाता है कि गुरु गोरखनाथ के आशीर्वाद से ही नेपाल में राज परिवार की वंश परम्परा बनी हुई है। गोरखनाथ के आशीर्वाद से ही नेपाल का राज परिवार फला फूला है। मकर संक्रांति के अवसर पर आज भी नेपाल के राजशाही परिवार की तरफ से गुरु गोरखनाथ को चढ़ाने के लिए खिचड़ी भेजी जाती है। हालांकि पहले नेपाल नरेश खुद आकर यहां खिचड़ी चढ़ाते थे और जब वह नहीं आ पाते थे तो अपने प्रतिनिधि से भिजवाते हैं। नेपाल का गुरु गोरखनाथ से वर्षों से अच्छा रिश्ता रहा है, यही वजह है कि आज भारत और नेपाल के बिगड़े रिश्ते के बीच गुरु गोरखनाथ मंदिर तुरुप का पत्ता साबित हो सकता है। 
नेपाल नरेश को रहता है प्रसाद का इंतजार 
नेपाल के राजशाही परिवार को गोरखनाथ मंदिर में विभिन्न अवसरों पर चढ़ने वाले प्रसाद का खास इंतजार रहता है। नेपाल का राजशाही परिवार आज भी गुरु गोरखनाथ को अपना राजगुरु मानता है। आज भी विभिन्न अवसरों पर नेपाल के राजशाही परिवार से गोरखनाथ मंदिर में प्रसाद चढ़ाने के लिए पैसा आता है। खिचड़ी के अवसर पर, विजयदशमी और नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र वीर विक्रम देव शाह के जन्मदिन के अवसर पर प्रसाद चढ़ाया जाता है जिसका नेपाल के राजशाही परिवार को खास इंतजार रहता है। गोरखनाथ मंदिर के सचिव द्वारिका तिवारी ने बताया कि नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र विक्रम देव शाह के जन्मदिन के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में प्रसाद चढ़ाया जाता है और उसे नेपाल के राजशाही परिवार को भेंट किया जाता है लेकिन इस बार नेपाल सीमा बन्द होने की वजह से पर पत्र भेजकर शुभकामना संदेश दे दिया गया है। स्थिति सामान्य होने पर प्रसाद भी भिजवा दिया जाएगा।

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